Saturday, January 23, 2016

सामाजिक कुरीतियों पर चोट करती फिल्म है आख़िर कब तक !


 इन दिनों एक रिवाज़ सा चल निकला है इश्क़ मोहब्बत में एक दूसरे की जान लेने का । मगर किसी को ये क्या खबर की इश्क़ में जान ही किसी और के पास गिरवी हो जाती है , जी हां ब्रजेश्वरी में शूट हो रही हिंदी फिल्म आखिर कब तक में इश्क़ प्यार और परम्पराओं को लेकर करारा चोट समाज पर किया गया है । इस फिल्म में हिन्दू मुसलमान के साथ प्रेम सौहार्द्र और समाज में फैली दहेज़ प्रथा की कुरीतियों को भी बखूबी चित्रण किया गया है , और फिल्म में उनसे निपटने के लिए उपाय भी दर्शकों की दिमागी जद्दोजहद के लिए छोड़ दिया गया है । अभी तक की हिंदी फिल्मों में हिन्दू मुसलमान का मतलब हिंदुस्तान और पकिस्तान होते आया है लेकिन फिल्म आख़िर कब तक इन अवधारणाओं को भी झुठलाते हुए नज़र आने वाली है । इस फिल्म में एक गाँव समाज में ही हिन्दू मुसलमान की सामाजिक एकता और एक दूसरे के प्रति सच्ची इंसानियत का नमूना देखने को भी मिलेगा जिसमे एक दूसरे के लिए शहादतें भी होंगी और फिर भाईचारा भी दिखेगा । 
                                   पीएनजे फिल्म्स के बैनर तले बन रही फिल्म आखिर कब तक के निर्माता हैं निशिकांत झा और निर्देशक हैं मिथलेश अविनाश । मिथलेश झा ने अब तक कई फिल्मों का सफल निर्देशन किया है और यह फिल्म आखिर कब तक उनके लिए मील का पत्थर साबित होगी । फिल्म में विनय राणा, आदित्य मोहन, मनीषा सिंह, अजय प्रताप, प्रतिभा पाण्डेय ,मधु सरकार,धीरज पंडित, राम सुजान सिंह,  हबीब भाई,करिश्मा मित्तल, मेहनाज़ श्रॉफ,विनोद मिश्रा ,सोनी पटेल और सुमन झा। 
                 फिल्म आखिर कब तक के बारे में बात करते हुए निर्देशक मिथिलेश अविनाश ने बताया की यह एक ऐसे परिवार की कहानी है जो दहेज़ प्रथा जैसी कुरीतियों और अत्याचार से लड़ता है और इस  कहानी में हिन्दू मुसलमान की शहादत भी होती है और तब फिल्म बनती है आखिर कब तक । फिल्म के प्रचार प्रसार का जिम्मा मिला है संजय भूषण पटियाला को ।

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