Thursday, September 15, 2016

साल 2016,के सर्वाधिक सफल अभिनेता खेसारी लाल यादव

कहते हैं कि ईश्वर भी मदद उसी इंसान की करता है जो शिद्दत से एप क्षेत्र में दम खम दिखाते हुए अपने कर्म के साथ उनको गुहार लगाता है । तो ऐसे मैं ईश्वर भी सामने वाले की योग्यता को उचित सम्मान दिलाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ता । जी हाँ हम बात कर रहे हैं भोजपुरी फिल्म जगत के आज के दौर के महान दार्शनिक और कर्मयोगी अभिनेता शत्रुध्न प्रसाद उर्फ़ खेसारी लाल यादव की । बिहार राज्य के छपरा जिले के एक छोटे से गाँव बिर्ती टोला से आने वाले एक साधारण परिवार के बेटे खेसारी लाल ने अपने मेहनत के दम पर अपने परिवार सहित गाँव, जिले और राज्य का नाम पूरी दुनिया में ऊँचा किया । 
सन २०११ से पहले तक खेसारी लाल यादव केवल एक अल्बम गायक के तौर पर जाने जाते थे । उनका एक अल्बम सइयां अरब गइले ना पिछले साल ही संगीत की दुनिया में तहलका मचा चूका था और लोगों की जुबान पर इस अल्बम के गाने थिरकते रहते थे । युवा वृद्ध से लेकर देवर भाभी तक सबने इस अल्बम को खूब मजे लेकर सुना और खेसारी लाल यादव एक नए उभरे गायक के तौर पर सुर्खियां बटोर चुके थे । लेकिन अल्बम की सफलता से इत्तर खेसारी लाल को कुछ ऊँचे सपने भी पुरे करने थे वहीँ उस साल निर्माता आलोक कुमार और निर्देशक प्रेमांशु सिंह की जोड़ी ने खेसारी लाल यादव की लोकप्रियता को भुनाते हुए बतौर अभिनेता उनको अपनी फिल्म साजन चले ससुराल के लिए अनुबंधित किया । बस किस्मत तो जैसे उनके ऊपर इसी छण का इंतज़ार कर रही थी और इस फिल्म के रिलीज़ होते ही खेसारी लाल यादव एक सुपरस्टार हो चुके थे ।
साजन चले ससुराल के बाद तो खेसारी लाल के पास फिल्मों की झड़ी सी लग गयी लेकिन इस अभिनेता ने उस स्टारडम के भूत को भोजपुरी के उस दौर के बाकी के तथाकथित महान कहे जाने वाले अभिनेताओं की तरह अपने सर पर नहीं चढ़ने दिया । वे फिल्मों के चुनाव में सावधानी बरतते हुए आगे बढ़े और २०११ के अंत तक ही उस दौर के सर्वश्रेष्ठ निर्देशक राजकुमार पांडेय के निर्देशन में एक सुपरहिट फिल्म नागिन में अपनी अदाकारी से लोगों का मन मोह लिया । 
ये वो दौर था जब भोजपुरी फिल्म जगत में मनोज तिवारी, पवन सिंह , रवि किशन और निरहुआ का परचम सर्वोच्च शिखर पर था । लेकिन उसी दौर में इस २३ साल के युवा अभिनेता ने सबकी लोकप्रियता को पछाड़ते हुए अपनी अदाकारी और खासकर के युवाओं के नब्ज़ को पहचानते हुए अपनी कलात्मक अभिनय कौशल से सबको मात देते हुए अपना परचम लहराना शुरू किया । फिल्म नागिन की सफ़लता के बाद खेसारी लाल की फिल्में लहू के दो रंग, जान तेरे नाम, सपूत, और देवरा पे मनवा डोले ने उस समय के बॉक्स ऑफिस के सारे कीर्तिमान को ध्वस्त कर दिए । 
यह साल २०१२-२०१३ का दौर था जब एक तरफ बाकी के भोजपुरी सुपरस्टार्स की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर पानी भी नहीं मांग पाती थीं मनोज तिवारी और रवि किशन जैसे अभिनेता को निर्माताओं ने भाव देना भी बंद कर दिया था ! वहीँ दूसरी तरफ खेसारी लाल यादव ने उसी दौर में एक फिल्म के लिए सर्वोच्च मेहनताना लेना शुरू किया था और निर्माताओं ने भी उन्हें मुहमांगी रकम पर अपनी फिल्मों के लिए अनुबंधित करना शुरू किया था । तब उनकी फिल्में दिल ले गइल ओढ़निया वाली, प्रतिज्ञा २, संसार ,तेरी कसम, ऐ बलमा बिहारवाला , प्यार झुकता नहीं जैसी सुपरहिट फिल्मों ने खेसारी लाल के कैरियर को ऊंचाई देने का काम किया ।
फिर सन २०१४ में एक दौर ऐसा भी आया जब पहली बार अभिनेता खेसारी लाल यादव ने अपने खुद के प्रोडक्शन हॉउस से अपनी फिल्म लाडला का निर्माण किया जो की बॉक्स ऑफिस पर बेहद सफल रही । कहते हैं कि खेसारी लाल ने अपनी निजी जिंदगी को इस फिल्म के जरिये लोगों तक पहुँचाया था जिसे लोगों के साथ साथ समीक्षकों ने भी सराहा था । फिर इसी साल उनकी फिल्में साथिया, चरणों की सौगंध, तू मेरा हीरो, बेताब और खून भरी मांग भी आईं । यह दौर तो पूरी तरह से खेसारी लाल यादव का ही था । इस समय तक खेसारी लाल यादव भोजपुरी बॉक्स ऑफिस के इकलौते शहंशाह हुआ करते थे । 
इसके ठीक बाद उनकी २०१५ में एक महान पारिवारिक फिल्म आई बंधन जिसने की उनके कैरियर को और भी ऊंचाई के साथ अभिनय के क्षेत्र में खेसारी के बढ़ते शौर्य को सामर्थ्य और प्रसिद्धि दिलवाई । इसके साथ ही खेसारी लाल की और भी दर्जन से ऊपर फिल्में आईं और हर फिल्म में उनके एक अलग तरह के चरित्र को बल प्रदान किया । 
खेसारी लाल ने परदे पर हर तरह के किरदार निभाए , नाच के लौंडे सहित खतरनाक एक्शन और एक पारिवारिक जिम्मेदारी से परिपूर्ण संपूर्ण अभिनेता का हर चरित्र बेहद ही संजीदगी से निभाया और लोगों की सराहना के पात्र भी बने । परदे पर किये गए अभिनेत्रियों के संग उनके रोमांस को लोग आज भी याद करके उनकी नक़ल करते नज़र आते हैं । इस साल सन २०१६ में उनकी अब तक बड़ी बड़ी फिल्में रिलीज़ हुई हैं जिनमे निर्देशक असलम शेख की खिलाड़ी, निर्देशक मंजुल ठाकुर की दबंग आशिक और दूध का कर्ज ने जबर्दश्त सफ़लता पाई है और इनके साथ ही कुछ और बड़ी फिल्में रिलीज़ की तैयारी में हैं जिनमे साजन चले ससुराल भाग २, जानम २ दिलवाला, होगी प्यार की जीत , साथिया साथ निभाना, और मेहँदी लगा के रखना महत्वपूर्ण और बड़े बजट की फिल्में हैं । 
खेसारी लाल यादव के साथ भोजपुरी का हर बड़ा निर्देशक फिल्में करने को लालायित रहता है क्योंकि खेसारी के अभिनय में उनको गहराई नज़र आती है जिसमें निर्देशकों को अभिनेता से अधिक कहानी का किरदार नज़र आता है । आज खेसारी लाल यादव की इसी लोकप्रियता को देखते हुए बिहार सहित देश के तमाम क्षेत्रों में फैले भोजपुरी फिल्मों के वितरकों ने बाकी अभिनेताओं की फिल्मों को उतना भाव देना लगभग बंद ही कर दिया है । इसका एक मुख्य कारण यह भी है कि खेसारी लाल इस समय चुन चुन कर बेहद सी संवेदनशील मुद्दों की फिल्मों पर अपना ध्यान अधिक केंद्रित कर रहे हैं । और उनका यह प्रयोग सफल भी रहा है क्योंकि वो बाकी लोगों की तरह फिल्मों के नाम बदलकर नहीं बल्कि अपने अभिनय के दम पर फिल्मों को सफलता दिलाने का भरोसा निर्माता निर्देशकों को दिला रहे हैं ।


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